Thursday, January 26, 2012

मैं अक्सर सोचता हूँ ...

मैं अक्सर सोचता हूँ
क्या वो मुझको सोचता होगा?
पलट के देखता हूँ
क्या वो मुझको देखता होगा?
मैं अक्सर सोचता हूँ
इत्तेफकान मुझसे मिलने को
कहीं ख्वाबों के रस्तों पे
संदेसे फेंकता होगा?
मैं अक्सर सोचता हूँ
क्यूँ मैं उसकी राह को देखूं
जहाँ छोड़ा था उसको
वो वहां से चल पड़ा होगा
मैं अक्सर सोचता हूँ
सच नहीं है, झूठ ही होगा
वो जैसा दुनिया कहती है
क्या उतना ही बुरा होगा?
मैं अक्सर सोचता हूँ
ये जो मेरे दिल का नश्तर है
है जिसकी उँगलियाँ थामें
क्या उसको भी चुभा होगा?

9 comments:

Sukanya said...

क्या कहने...

ये जो मेरे दिल का नश्तर है
है जिसकी उँगलियाँ थामें
क्या उसको भी चुभा होगा?
वल्लाह!!!

anchui jindagi said...

very nice

induravisinghj said...

मैं अक्सर सोचता हूँ
क्या वो मुझको सोचता होगा?
यही जवाब तो आता नहीं,गुज़र गया वक्त इंतज़ार करते-करते।
लाजवाब रचना नीलेश जी।

Pratibha Katiyar said...

Aaaah!

richa said...

मैं अक्सर सोचता हूँ
इत्तेफकान मुझसे मिलने को
कहीं ख्वाबों के रस्तों पे
संदेसे फेंकता होगा?


B'ful thought Neelesh ji!!!

n BTW missing Yaad Sheher... waiting for its second season... :)

Beginning at the End said...

really nice sir,,,,,,,,,,,,!!!!!!!!!!

Amit Valmiki said...

awesome! neelesh sir, I wish,I could write like you.....Great way of penning the heart on empty pages.
Always love you and Thank you for being my Inspiration.

naina said...

wah..!!!amazing..!!!!

naina said...

kash mai bhi apne dil ki baat itnay aasani se paper par likh paati...

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)