Sunday, June 27, 2010

बस, रास्ता अब रुक गया


बस, रास्ता अब रुक गया
हम भी क़दम यूँ रोक लें
जैसे सफ़र था ही नहीं
बस वक़्त का ठहराव था
और राहें अब हैं चल पडीं ...

मैं उसका अब कुछ भी नहीं
वो मेरा अब कुछ भी नहीं
फिर भी शहर रोशन लगे
लगता अंधेरों में कहीं
उम्मीदें मेरी जल पडीं

बस वक़्त का ठहराव था
और राहें अब हैं चल पडीं ...

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)