जो आ जाता दबे पाओं
कभी तू रौशनी के घर
अँधेरे का लगा टीका
बलाएँ तेरी ले लेते
जो आ जाता तू ले नश्तर
बिना सोचे हम अपने सर
करी हैं जो, करेगा जो
खताएँ तेरी ले लेते
जो वापस लौट आता तू
यूँ करते फिर न जाता तू
कि रस्ते तेरे ले लेते
दिशाएँ तेरी ले लेते
अँधेरे का लगा टीका
बलाएँ तेरी ले लेते ...