Tuesday, August 16, 2011

जो आ जाता दबे पाओं



जो आ जाता दबे पाओं

कभी तू रौशनी के घर

अँधेरे का लगा टीका

बलाएँ तेरी ले लेते



जो आ जाता तू ले नश्तर

बिना सोचे हम अपने सर

करी हैं जो, करेगा जो

खताएँ तेरी ले लेते


जो वापस लौट आता तू
यूँ करते फिर न जाता तू
कि रस्ते तेरे ले लेते
दिशाएँ तेरी ले लेते

अँधेरे का लगा टीका

बलाएँ तेरी ले लेते ...

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)