मेरे अन्दर मेरा छोटा सा शहर रहता है
ये पंक्तियाँ मैंने कई साल पहले लिखी थीं। कभी पूरी नहीं की। गीत बस वहीं का वहीं रह गया, बड़े शहर में क़ैद. कई बार सोचा, क्या छोटा शहर मेरे अन्दर किसी गहरी, बरसों लम्बी नींद में सो गया? या फिर कोई खूबसूरत मौत मर गया?
पिछले दिनों एक फ़िल्म के गीतों के लिए बम्बई में एक निर्देशक के साथ बैठक चल रही थी, कि उनकी फ़िल्म की कहानी सुन कर अनायास मुंह से निकल गया ... "मेरे अन्दर मेरा छोटा सा शहर रहता है" ... उनको इतना पसंद आया की अब आदेश हुआ है की मैं ये गीत पूरा करूं. पर गीत तो खामोश बैठा है, नाराज़ दादाजी की तरह. आगे कुछ कहता ही नहीं.
हम सभी तो इसी छोटे शहर की यादों की खाते हैं ... जब बड़े शहर ने परेशां किया, इस की बाहों में दुबक जाते हैं। बनारस का वो घाट याद है? पटना का रेलवे स्टेशन देखे हो? यार ये चांदनी चौक तो एकदम जैसे लखनऊ का अमीनाबाद है ... अमां तरबूज़ खा कर तो लल्लन की दूकान की याद आ गई ...
अपने ब्लॉग पर भी बड़ी शान से लिखा, "Hidden inside me, a small town guy" (छुपा है मेरे अन्दर, छोटे से शहर का एक आदमी)। लेकिन कभी कभी सोचता हूँ, कहाँ रहता है ये कमबख्त छोटा सा शहर? क्या पहनता है ये? कौन से गाने पे नाच रहा है ये नचनिया? हट! ये तो बहाना है बस। कहीं ये खूबसूरत छोटा सा शहर हमारे शातिर, कल्पनाशील दिमागों की ईजाद भर तो नहीं? एक ऐसी मरीचिका जहाँ सभी अच्छा था, ज़िंदगी खूबसूरत थी, मधुबाला की तस्वीर की तरह ...
फिर दो पंक्तियाँ याद आयीं, कॉलेज में एक नाटक के लिए लिखीं थीं उस पानी से भरे शहर नैनीताल में ...
जीवन में प्रेम हो, सद्भाव हो, समरसता हो
चावल सस्ता हो ...
यही तो है न हमारी ज़िंदगी में छोटे से शहर की ड्यूटी? एक ऐसी छतरी जिसके नीचे हम पट से भाग जाते हैं, जैसे ही वक्त की धूप थोड़ा सा तिरछी आंख दिखाती है ... ये छोटा सा बेईमान शहर बस हमारे दिल में ही तो रहता है भाई, एक टाइम मशीन की तरह। मुश्किल वक्त, कमांडो सख्त -- नाना पाटेकर ने बोला था न "प्रहार" में? -- बटन दबाया, अपने आप को दो मिनट के लिए छोटे से शहर में पाया.
मैं इस हफ्ते लखनऊ में था। बड़ा हुआ था यहीं। काफी वक्त सड़कों पे छोटे से शहर की राह देखता रहा। लेकिन वहां तो अब डोमिनोस पीत्ज़ा फ़ोन करने से मिलता है। वहां तो अब सिनेमा देखने के लिए गाँव के मास्टर की दस दिन की तनख्वाह खर्च करनी पड़ती है। वहां तो अब बिना नम्बर की मर्सिडीज़ दौड़ती है ...
भाई यहाँ तो अभी अभी किसी नेता ने अपनी ही प्रतिमा का अनावरण किया है, चमकीली बत्ती लगवा कर, लाखों रुपैय्या खर्च कर के परदा उठवाया है. ये छोटा सा शहर कहाँ है , ये तो एक भूतपूर्व और एक भावी प्रधानमंत्री का शहर है ...
मेरे छोटे से शहर पर तो कब का परदा गिर गया यारों ... अब तो बस एक किरदार है जो निभा रहा हूँ मैं।
और हाँ, आप भी.