Saturday, June 26, 2010

बकवासपरस्ती करते हैं




चल सर से सर टकराते हैं
चल सड़क पे नोट लुटाते हैं
चल मोटे स्केच पेन से इक दिन
हम चाँद पे पेड़ बनाते हैं
जो हँसना भूल गए उनको
गुदगुदी ज़रा करवाते हैं
चल लड़की छेड़ने वालों पे
हम सीटी ज़रा बजाते हैं
इन बिगड़े अमीरजादों से
चल भीख ज़रा मंगवाते हैं
पानी में दूध मिलाया क्यूँ?
चल भैंस से पूछ के आते हैं
नुक्कड़ पे ठेले वाले से
चल मुफ्त समोसे खाते हैं
चल गीत बेतुके लिखते हैं
और गीत बेसुरे गाते हैं

क्या करना अकल के पंडों का
हमें ज्ञान कहाँ हथकंडों का?
चल बेअक्ली फैलाते हैं
चल बातें सस्ती करते हैं
बकवासपरस्ती करते हैं!
बकवासपरस्ती करते हैं!

चल तारों का बिजनेस करके
सूरज से रिच हो जाते हैं
उस पैसे से मंगल गृह पे
एक प्राइमरी स्कूल चलाते हैं
चल रेल की पटरी पे लेटे
हम ट्रेन की सीटी गिनते हैं
चल किसी गरीब के बच्चे की
सपनों की लंगोटी बुनते हैं
चल इनकम टैक्स के अफसर से
"क्यूँ है इनकम कम?" कहते हैं
मुस्कान ज़रा फ़ेंक आते हैं
वहां जिस घर में ग़म रहते हैं
चल डाल शुगर फ्री की गोली
इक मीठा पान बनवाते हैं
चल यूँ ही झगडा करते हैं
और फिर झगडा सुलटाते हैं

जो हमको समझे समझदार
उसका चेक अप करवाते हैं
चल बोरिंग बोरिंग लोगों से
बेमतलब मस्ती करते हैं
बकवासपरस्ती करते हैं!
बकवासपरस्ती करते हैं!



(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)