चूंकि मैं आज़ाद भारत का आज़ाद नागरिक हूँ, और अपने फैसले खुद लेने का अधिकार मुझे मेरे राष्ट्र के संविधान, मेरी कानून व्यवस्था और मेरे मम्मी पापा ने दिया है, इसलिए मैं ये फैसला सुनाना चाहता हूँ कि अब से हम महिला दिवस की टक्कर में एक पुरुष दिवस मनाएंगे।
मैं पूछता हूँ कि ये हक़ महिलाओं को किसने दिया कि अपना डे खुद डिक्लेअर कर लें? हद होती है!
मैं इसकी भर्त्सना करता हूँ, निंदा करता हूँ, इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करता हूँ और वो सारी भारी भरकम शब्दों वाली दफ़्तरी चीज़ें करता हूँ जो हम टीवी न्यूज़ पर सुनते हैं पर समझ नहीं आतीं।
महिलाओं के इस फैसले की भर्त्सना करने के बाद अब हम पुरुष दिवस मनाने की तय्यारी शुरू करते हैं।
हम इस अवसर पर एक भव्य समारोह करेंगे और ऐसे पुरुषों का आदर करेंगे जिन्होंने पुरुष होने का धर्म बखूबी निभाया हो। इस कसौटी पर खरे उतरने के लिए उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी होनी। मुझे यकीन है कि भारत में गली गली में ऐसे पुरुष मिल जायेंगे जो ये शर्तें पूरी करते हों, और हमारे पास करोड़ों आवेदन आयेंगे, लेकिन फिर भी शर्तें गिना देता हूँ:
1. पहली ये कि उन्हें चाय बनानी आती हो और वे अपनी माताजी, बहन अथवा पत्नी को चाय बना के पिलाते हों। अब मैं जानता हूँ हम मर्द धूर्त होते हैं और इस काम से बचने के लिए बहाने या शॉर्ट कट ढून्ढ लेंगे। इसलिए इस शर्त के अन्दर भी एक शर्त ये बनाई जा रही है कि चाय बाक़ायदा गैस पर चढ़ा कर, पानी-पत्ती-अदरक-दूध सब दाल के, उबाल के, छान के, बनाई गयी हो। टी बैग अथवा बटन दबा कर किसी यन्त्र की सहायता से बनाई गयी चाय मान्य नहीं होगी।
2. बेहतर तो यह रहेगा कि वे गालियाँ न देते हों, लेकिन अगर ये बचपन की गन्दी आदत जाने को तैयार ही न हो, तो वे कम से कम गालियों में महिलाओं को न घसीटते हों। और गालियाँ अगर दें तो आईने के सामने ही दें, किसी और पर सार्वजानिक रूप से ये प्रयोग करना हमें अधिक ठीक नहीं लगता। पता नहीं आप लोगों ने नोटिस किया होगा कि नहीं, कि लगभग भारत की सारी भाषाओँ में महिलाओं के जिक्र के बिना गालियाँ जैसे अधूरी ही लगती हैं ... हम कहते हैं महिलाएं महत्वपूर्ण हैं, बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इतनी भी नहीं। ठीक है?
3. अगर आप पिता हैं तो बेटे और बेटी में भेद न करते हों। ये नहीं कि बेटे को नए जूते दिला दिए और बेटी से कह दिया कि भैया को स्पोर्ट्स डे पर ज़रुरत है, तुम्हें बाद में दिला देँगे। बेटा तो डाक्टरी और इंजीनियरी करने के लायक समझा जाता है और बेटी किसी छोटी मोटी नौकरी के।
4. आप सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं को घूरते न हों और छींटाकशी न करते हों। आप में से जो इंग्लिस माध्यम के लोग छींटाकशी करते होंगे किन्तु इस शब्द का मतलब नहीं जानते होंगे, उन्हें बता दूं कि इस का मतलब होता है लड़कियां छेड़ना। चूंकि हमारे फिल्मी गानों, टीवी सीरियलों और फिल्मों में इस क्रिया अथवा हरकत को काफी अच्छी चीज़ बताया जाता है, इसलिए शायद आपको लगता होगा कि सीटियाबाजी के लिए इंडिया में कोई इनाम मुक़र्रर है। लेकिन ऐसा है नहीं। अगर आप लड़कों पे सीटियाबाजी करना चाहते हैं तो हम फिर भी आपको कंसिडर कर सकते हैं।
5. ऐसा न करते हों कि परिवार की महिलाएं परिवार के पुरुषों के बाद खाना खाएं। ऐसा करने से आप पुरुष दिवस पर मैडल पाने से वंचित रह जायेंगे।
6. अगर आपने कभी अपनी पत्नी पे हाथ उठाया हो ता तो बाई गॉड आप गए काम से। आप को इनाम मिलना तो दूर आपको ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा और आप राशन कार्ड लेने तक के लायक नहीं माने जायेंगे। लेकिन मैं जनता हूँ आप ऐसा कभी नहीं करेंगे, कभी नहीं करते होंगे।
मैं जानता हूँ कि बड़ी आसान शर्तें हैं। आप में से लाखों, करोड़ों पुरुष इन शर्तों पर खरे उतरेंगे और एक बड़ा ही दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है! अब देखिएगा, ये महिला दिवस तो धरा का धरा रह जाएगा। हमारा पुरुष दिवस इतना लोकप्रिय हो जाएगा कि टीवी चैनेल वाले दौड़े चले आयेंगे हमारे पीछे सरपट सरपट!
पुरुष दिवस के इस पुरस्कार वितरण समारोह को और भी रोमांचक बनाने के लिए हम एक बड़ा अनूठा प्रयोग करेंगे -- हम महिलाओं की जूरी बनायेंगे! आखिर ये महिलाएं भी तो देखें कि कितने काबिल लोग भरे पड़े हैं हम पुरुषों में! हद है, बेकार में ये हमें जब देखो विलेन बताती रहती हैं! जैसे हम मेले वाला वो बबुआ हों जिसे जो देखो घूँसा जमा के चला जाता है!
तो भाइयों जल्दी जल्दी भेजिए अपने फॉर्म! मुझे यकीन है कि आप सारी शर्तें पूरी करते हैं! अपनी एक तस्वीर भी साथ भेजिएगा ताकि अख़बार में बढ़िया चकाचक छप सके! मैं जानता हूँ कि आप महिलाओं की इज्ज़त करते हैं, आप कभी गड़बड़ शड़बड़ गालियाँ नहीं बकते हैं, आप कभी महिलाओं को बुरी नज़र से नहीं देखते हैं! मैं जानता हूँ कि ये आपके विरुद्ध चलाया गया झूठे आरोपों का पुलिंदा एक पल में ढेर हो जाएगा जब पुरुष दिवस के अवसर पर हम पुरुष गर्व के साथ अपने भले होने का सबूत देंगे!
अरे जल्दी कीजिये भाई, आवेदन भरने की सीमा समाप्त होने वाली है!
... अरे मैंने कहा जल्दी भेजिए अपने नाम, आप सब ही तो ये शर्तें पूरी करते होंगे?
... अरे दोस्तों जल्दी कीजिये!
दोस्तों! मेरे साथी पुरुषो! क्या हमारी नाम कट जाएगी इन महिलाओं के सामने? क्या आप पुरुष दिवस के लिए आने वाले अतिथियों के लिए आर्डर किया गया बिस्कुट चाय समोसा बेकार जाएगा?
अरे क्या कोई भी पुरुष हिंदुस्तान में ये शर्तें पूरी नहीं करता????
... दोस्तों ... चूंकि मैं आज़ाद भारत का आज़ाद नागरिक हूँ, और अपने फैसले खुद लेने का अधिकार मुझे मेरे राष्ट्र के संविधान, मेरी कानून व्यवस्था और मेरे मम्मी पापा ने दिया है, इसलिए मैं ये फैसला सुनाना चाहता हूँ कि मेरे पहले फैसले को निरस्त किया जाता है।
पुरुष दिवस कैंसिल।
आपका
सड़क छाप
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