aisa manzar haqiqat main hota hai sir ji ! hum hi samajh nahi pate hai, is dariya-e-jahaan main khokar hum sab bhuul jaate hai, is manzar ko yaad dilaane kaa shukriya.
aisaa manzar kahin hamaaudti bhaagti-doudti jindgi main kahin kho gaya hai sir ji ! aapne yaad dilaa diya, ab shayad hum us manzar ko mehsuus kar paae shayad, shukriyaa !
काश ऐसा मंज़र फिर हम ढूँड पाए , ऐसा मंज़र हमारे पास ही था लेकिन इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हमने उसे खो दिया है, संवेदना के अंत होते इस युग में आपका ये मंज़र उल्लेखनीय है, इस मंज़र के खो जाने की याद दिलाने का शुक्रिया! हम शायद फिर ढूँड पाए ऐसा मंज़र, क्या पता.
8 comments:
aisa manzar haqiqat main hota hai sir ji ! hum hi samajh nahi pate hai, is dariya-e-jahaan main khokar hum sab bhuul jaate hai, is manzar ko yaad dilaane kaa shukriya.
aisaa manzar kahin hamaaudti bhaagti-doudti jindgi main kahin kho gaya hai sir ji ! aapne yaad dilaa diya, ab shayad hum us manzar ko mehsuus kar paae shayad, shukriyaa !
खूबसूरत कविता ...मखमली एहसास .....!!!!
काश ऐसा मंज़र फिर हम ढूँड पाए , ऐसा मंज़र हमारे पास ही था लेकिन इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हमने उसे खो दिया है, संवेदना के अंत होते इस युग में आपका ये मंज़र उल्लेखनीय है, इस मंज़र के खो जाने की याद दिलाने का शुक्रिया! हम शायद फिर ढूँड पाए ऐसा मंज़र, क्या पता.
very nice.........
sweetly expressed.
anu
मन को छू गये कविता के तार...
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’की—बोर्ड वाली औरतें!’
’प्राचीन बनाम आधुनिक बाल कहानी।’
बहुत सुन्दर......
आप और क्यूँ नहीं लिखते....
u write so very well....
regards
anu
अरे भाई, आपका नाम क्या है वो तो ब्लाग में लिखो...
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