Thursday, March 8, 2012
ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?
ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?
मर्दों को मनाही है विमेंस डे की बधाई देने की
जब तक मेरी कुछ शर्तें न पूरी हो जाएँ
जब तक माँ भी पूरे परिवार के साथ खाना न खाए
जब तक हिंदुस्तान के सारे पापा और भाई
खाने के बाद अपने बर्तन खुद चौके में रखना न सीख जाएँ
गुस्सा निकलने का तरीका माँ-बहन की गालियाँ न हों
बस में कुहनियाँ उस कॉलेज की लड़की को छूने को बेताब न हों
जब शौहर बीवियों से बात करने की तमीज सीख जाएँ
जब गाने मशहूर करने के लिए
औरतों को पानी के नीचे नाचना न पड़े
तब कर लेना विमेंस डे
ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?
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6 comments:
सटीक .... नारी को सम्मान देना सीखें ... तभी इस दिवस की सार्थकता है ...
this is what we were discussing in the morning. Can't agree more.
इन तमाम डेयों-फेयों से तो मुझे कुछ यूं लगता है जैसे बहुत फुरसती लोगों के लिये चिलम और हुक्के की मजलिस जमवाई गई हो.....लो भई तुम भी सुट्टा मारो और अपना दुख दर्द बयां करो......तनिक ये बात....तनिक वो बात.......उसकी भैंस ने हमारे खेत चर लिये.....पशु प्रेम दिवस मना लो.......उसके कुत्ते ने फलाने की पतोहू को काट लिया......चलो आज एंटी रैबीज डे मना लो.....उसके ससुर तो मूतते मूतते परेसान हैं......चलो मधुमेह दिवस मना लो......भईया चिलम पर आग कम पड़ रही है......चलो फायर सर्विस डे मना लो :)
shame actually for a country which has its worst gender imabalance now and after a rape which tells its women to stay home after 8 p.m women's day is a sham !
this poem sheds light on the roots of the problem; it can begin from here - these seemingly small things and work its way up!
m speechless.....u r rly a fab writer i mst say dat...n m an ardent fan of urs...n a daily listener of ur sories...
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