मैं धूप में था, वो छांव में
मैं आसमां, वो हवाओं में
थे संग हम फिर भी दूर थे
भंवर थे दोनों के पाँव में
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में
वो खूबसूरत सी दोपहर
वो शाम संग तेरे मुक्तसर
रखा है उस पल का नाम भी
लो हमने अब तेरे नाम पर
चले भी आओ हैं ढूँढ़ते
तुम्हें हजारों दिशाओं में
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में
मैं करवटों में उलझ गया
मैं रात भर कल न सो सका
मैं उस को हर पल हूँ ढूँढता
जो पल हमारा न हो सका
न रोको अब मैं हूँ डूबता
न जाने कैसी खलाओं में
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में
हमारी तकलीफ सोच कर
था रोना चाहा, न रो सका
ज़रा से मासूम ख्वाब का
गले में किरचा अटक गया
है कहने को कितना कुछ मगर
बताओ कैसे सुनाऊं मैं
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में
13 comments:
बहुत सुन्दर! कभी तो वापस आयेंगे वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में....
बहुत अच्छी कविता और हेडर की तस्वीर तो बहुत बहुत संदर है।
बिल्कुल याद होगा... बेहतरीन कविता।
नहीं भुलाये जा सकते वे लमहे
जब पहली बार तुम्हारी आँखों से टपके उन क़तरों ने
तय किया था सफ़र
मेरी रूह तक का,
और भिगोते चले गये थे मुझे-
अन्दर, बेहद अन्दर तक!
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में
nilesh ji behad khoobsoorat kavita padhne ko mili..achchhi lagi...
खूबसूरत !!!
wah wah aapne toh dil nikal ke rakh dia hamara..
news
पढ़कर अच्छा लगा
जिन्दगी बाँध घूँघरू ..दौड़ आएगी ... धुप छाँव में ...सुहाना सफर ऐसा ,ख्वाबों के गाँव में ..
था रोना चाहा, न रो सका
ज़रा से मासूम ख्वाब का
गले में किरचा अटक गया
है कहने को कितना कुछ मगर
बताओ कैसे सुनाऊं मैं
कभी तो वापस फिर आयेंगे
वो लम्हे ख्वाबों के गाँव में.... speechless.
bahut khub janab maan gaya aapko..........
ahhhh.... there should have been a like option on blogger too... coz it leaves me speechless...
Relly Nice and Beautiful thoughts!
beautiful..
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