रात से याद के काजल को
मिटाऊं कैसे?
जिसका दर छोड़ दिया उस को
भुलाऊं कैसे?
तू बुरा है, मुझे ये कह के उसने छोड़ दिया
थामा उम्मीद का यूँ हाथ कि मरोड़ दिया
मैंने भी कांच से पत्थर का वो घर तोड़ दिया
रखा हथेली पे यादों का शहर, तोड़ दिया
लेकिन अब सोचता हूँ न शहर बचा न है घर
जाए जो तनहा मुसाफिर, तो अब ये जाए किधर?
इस बयाबां में अब न तू है, न मैं मिलता हूँ
अपना साया हूँ खुद को ढूँढने निकलता हूँ
तुझसे नाराज़ हूँ मैं, खुद से भी नाराज़ हूँ मैं
नाम न लेता मेरा, जैसे हसीं राज़ हूँ मैं
नाम उसका मैं फिर से होठों पे लाऊं कैसे?
रूठी उम्मीद को बोलो मैं मनाऊं कैसे?
रात से याद के काजल को
मिटाऊं कैसे?
जिसका दर छोड़ दिया उस को
भुलाऊं कैसे?
अब शहर शहर भटकता हूँ, तुझ से दूर हूँ मैं
तू ही कहती थी ना मुझसे, तेरा नासूर हूँ मैं
मुझको ना छूना तू, कि अब ज़हर में चूर हूँ मैं
मैं तो पागल फकीर हूँ, तेरा फितूर हूँ मैं
मैं तो वो ज़ख्म हूँ तेरा जो ना भरेगा कभी
मैं परिंदा हूँ जो सूरज से जल मरेगा कभी
फिर भी दो बूँद तू आंसू के ना धरेगा कभी
मुझको खोने का तू अफ़सोस ना करेगा कभी
मुझको मालूम है ये सब, है फिर भी इतना पता
सिवाय तेरे मेरे दिल में और था ही क्या?
राज़ इतना सा है, खुद से ये छुपाऊं कैसे?
छोड़ना चाहूँ तुझे, छोड़ के जाऊं कैसे?
रात से याद के काजल को
मिटाऊं कैसे?
जिसका दर छोड़ दिया उस को
भुलाऊं कैसे?
11 comments:
bahut khub racha hai...lagta hai jaldi hi ye bool kisi ho gaate huwe gun lunga..."थामा उम्मीद का यूँ हाथ कि मरोड़ दिया" ye to bahut hi gajab raha
- ajeet
मैं तो वो ज़ख्म हूँ तेरा जो ना भरेगा कभी
मैं परिंदा हूँ जो सूरज से जल मरेगा कभी
फिर भी दो बूँद तू आंसू के ना धरेगा कभी
मुझको खोने का तू अफ़सोस ना करेगा कभी
आह, सर जी आपने तो जिंदा कर दिया सब कुछ।
खूबसूरत रचना है मिश्रा जी...........आपकी प्रोफाइल देखकर अच्छा लगा............Theory Of Catharsis काम कर गया....कविता के मूलभाव का साधारणीकरण हो गया.........फिलवक्त एक प्राइवेट न्यूज़ चैनल का मुलाजिम हूं............एक शुक्ला जी जो आपकी फॉलोअर भी है उनका और हमारा बेहद प्रगाढ साथ था लेकिन वक्त के थपेड़ो नें सब कुछ तहस-नहस कर दिया और कारवां गुजर गया, गुबार देखतें रहे........खैर उस टूट चुके घोसलें के तिनको को जोड कर फिर से पुनर्वास का कार्य प्रगति पर है.........कविता के लिये एक बार फिर आपको साधुवाद..............
bahut khoobsurat hai...
मुखड़ा बहुत सुंदर बना है। शेष तो तुक बिठाया लगता है। आपके कई गीत मार्डन क्लासिक हैं। लेकिन ये उनमें से नहीं होगा।
Absolutely beautiful! Your poetry has an honesty and simplicity that touches the reader and moves him. Not every piece of creative art can be a classic but how does it matter. If it strikes a chord and touches our heart...it's done its job! :) Thanks for sharing! Looking forward to read more!...- M
very nice.
wah wah wah wah jitan bhi kahe kam hain koi shabd nahi hain jo kahe jaa sake...
news
Really you have written nice sayari.
software
kya kahun kaise daad doon samajh nahi aa raha neelesh..
Your poetry has innocent charm without any needless complications ,it makes me identify with my own self...
Post a Comment