Monday, July 27, 2009

कारगिल Kargil

दोस्तों आज ही कारगिल से लौटा, एक हफ्ते से वहां था ... युद्घ के समय वहां दो महीने बिताये थे, उसके बाद अब वापस गया। अजब गुज़रे सात दिन ... मोबाइल फ़ोन, टी वी और असली दुनिया के ग़मों से बहुत दूर ... ये हैं कुछ तस्वीरें ... जो दो महिलाएं घाघरा चोली में हैं उनके पति सैनिक थे ... उन पहाडियों को देख रही हैं जहाँ उन्होंने जान दी ...
























12 comments:

संदीप said...

महिलाएं वादियों की और जवान महिलाओं की तस्‍वीर उतार रहे हैं, अच्‍छा एंगल है।
पहली तस्‍वीर भी अच्‍छी लगी।

Puneet Bhardwaj said...

बेहतरीन फोटो सर। आपकी स्टोरी भी पढी, वो भी अच्छी थी।

rahul said...

Hope you had great time... all the pics are beautiful enough to be hanged as posters.

AK said...

brilliant pictures

Prabuddha said...

नीलेश, पहले सोचा कि ऑफ़िशियल आईडी पर मेल कर बधाई दूंगा पर अब यहीं स्वीकार करो, ढेरों बधाईयां- 'बैक टू कारगिल' सीरीज़ के लिए। एक जगह से बिल्कुल जुदा क़िस्म की स्टोरीज़ निकालना आसान नहीं होता। उसके लिए आप जैसे पत्रकार की पैनी नज़र होना ज़रूरी है। सभी स्टोरीज़ बेहतरीन तरीक़े से बुनी गई थीं। एक बार फिर मुबारक़बाद।

Pratibha Katiyar said...

कमाल है. बहुत ही खूबसूरत नीलेश जी. दिल को छूते शब्द और तस्वीरें.

prabhat said...

great!!! had read you report from polo village but the pic used with it was very small. images here compliment your already published reports. thanks for sharing.

कुमार आलोक said...

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुती ...जीवंत तस्वीरें देखकर मन प्रफुल्लित हो गया

Anonymous said...

thanx for sharing these pics.. realy nice pics

aditya said...

Heyy ...
I got nostalgic after watching such beautiful clicks. I had been to Laddakh exactly one year back. I hope I reach Kargil some day.
I read your adaptation to the "Gulon mein rang bhare" and then, I had to find you !!

Keep writing ...
I'll be keeping an eye !!! =)

Dankiya said...

nilesh ji..!! bahut sundar aur jeewant tasweeren hain...!!

Anonymous said...

I marvel at the scenes you captured in photographs.

Regards,
Pragya

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)