इस गीत की कुछ पंक्तियाँ मैंने काफ़ी पहले लिखी थीं ... मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद इसे पूरा किया. आपके साथ फिर से बाँट रहा हूँ. इसे एन डी टी वी पर संगीतबद्ध कर के दिखाया जा रहा है.
रेत में सर किए
यूँ ही बैठा रहा
सोचा मुश्किल मेरी
ऐसे टल जाएगी
और मेरी तरह
सब ही बैठे रहे
हाथ से अब ये दुनिया
निकल जाएगी
दिल से अब काम लो
दौड़ कर थाम लो
ज़िन्दगी जो बची है
फिसल जाएगी
थोडी सी धूप है
आसमानों में अब
आँखें खोलो नहीं तो
ये ढल जाएगी
आँखें मूंदें है ये
छू लो इसको ज़रा
नब्ज़ फिर ज़िन्दगी की
ये चल जाएगी
दिल से अब काम लो
दौड़ कर थाम लो
ज़िन्दगी जो बची है
फिसल जाएगी
रेत में सर किए
यूँ ही बैठा रहा
सोचा मुश्किल मेरी
ऐसे टल जाएगी
और मेरी तरह
सब ही बैठे रहे
हाथ से अब ये दुनिया
निकल जाएगी
कई साथियों के कंप्यूटर हिन्दी शब्दों को नहीं दिखाते हैं, इसलिए अगली पोस्ट में अंग्रेज़ी में भी शब्द लिख रहा हूँ.
चित्र साभार: राहुल पंडिता
6 comments:
एन डी टी वी द्वारा बनाया गीत का विडियो भी लगा देते !
आप रोमन लिपि में अपनी रचना पेश करें उससे बेहतर होगा कि अपने ब्राउसर में 'व्यू' टैब में 'एनकोडिंग' में आपके मित्र UTF 8 चुनें और इसके बावजूद दिक्कत हो तो bbc hindi की साइट से कुछ पलों में देवनागरी फॉन्ट अपने यन्त्र पर इन्स्टॉल कर लें ।
bahut achchhi kavita hai. badhai.
Beautiful.
Here is the link
http://www.youtube.com/watch?v=MlS97VA7XKk
अच्छा गीत लिखा है नीलेश।
I liked it very much.Keep going.
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