Monday, November 3, 2008

रेत में सर किए


रेत में सर किए

आज बैठा हूँ मैं

सोचता, मुश्किलें

यूँ ही टल जाएंगी ...


ख्वाब की खोज में

कुछ मिले न मिले

हसरतें कुछ मेरी

तो निकल जाएंगी


2 comments:

Udan Tashtari said...

ख्वाब की खोज में द
कुछ मिले न मिले
हसरतें कुछ मेरी
तो निकल जाएंगी

--जबरदस्त...बधाई!!!

नीरज गोस्वामी said...

बहुत खूब...रचना भी और चित्र भी..वाह.
नीरज

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)