Tuesday, July 15, 2008

चैन से सोना है तो टीवी बंद कर दो



पिछले दिनों टीवी पर पत्रकार साथियों को आरुषि काण्ड में कवरेज को लेकर अपनी और बाक़ी टीवी चैनलों की सफाई देते सुना. बोले, "अगर डाक्टर तलवार के पड़ोसी ही कहते हैं कि वो दुश्चरित्र थे, तो हमारा क्या दोष?"


इन पत्रकार साथियों का मैं यूँ बड़ा कायल रहा हूँ और उनका काम मुझे पसंद है. लेकिन उस शाम के बारे में मुझे बड़ी शर्म से कहना पड़ेगा: "शर्म, साथियों!"


अगर पड़ोसियों पर आधारित अध्-कचरी पत्रकारिता ही करनी है तो क्यूँ न मौक़ा-ऐ-वारदात के पड़ोसियों को आप लोग अब से स्ट्रिंगर रख लिया करें, विश्वसनीय समाचार मिल जाएगा, तुंरत. जब पत्रकारिता के सारे नियम कानून हमने किसी भरी अलमारी में बंद कर दिए हैं -- जब हमें अपुष्ट, अधकचरी ख़बरों को पूरी गंभीरता से दिखाने में कोई गुरेज़ नहीं, तो ये भी सही.


इन साथियों जितना मंझा पत्रकार नहीं हूँ, लेकिन उन्नीस साल फिर भी हो गए लिखते लिखते. थोड़ा बहुत जानता हूँ अपने पेशे के बारे में, और ये भी जानता हूँ कि अक्सर आप जब मन टटोलते होंगे तो ये ज़रूर सोचते होंगे, "ये हम कर क्या रहे हैं?" यही करने आए थे हम सब छोटे छोटे शहरों से बड़े बड़े बड़े सपने ले कर? गाड़ी तो लम्बी मिल गयी पर दिल पर हाथ रख कर देखिये दिल कितना छोटा हो गया ... मैं सलाम करता हूँ उस चैनेल एनडीटीवी इंडिया को, जिसने भीड़ में पीछे होना मंज़ूर कर लिया लेकिन कीचड से पाँव निकाल लिए. ये है टीवी चैनलों का हीरो.

उस बच्ची का क़त्ल किसने किया, ये मैं नहीं जानता. लेकिन इस पूरे वाकये में पत्रकारिता का गला हम सब पत्रकारों ने थोड़ा और घोंट दिया है.


मैंने बहुत साल पहले, जब क्राइम शो शुरू ही हुए थे, जी न्यूज़ के एक प्रोग्राम के लिए कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं. "चैन से सोना है तो अब जाग जाओ" ... यूँ ही अपने करीबी मित्र के प्रोग्राम के लिए, एक इतवार की दोपहर को. लेकिन अब लगता है कि दर्शक से कहना पड़ेगा: "चैन से सोना है तो अब भाग जाओ".



बचपन में "मनोहर कहानियाँ" पड़ोस में आती थी, हम भी कभी कभी चोरी चोरी दस पाँच पन्ने देख लिया करते थे. उसमें सनसनीखेज़ प्रेम प्रसंग होते थे, ह्रदय-विदारक खुदकुशी और क़त्ल की कहानियाँ होती थीं, और भूत प्रेत के किस्से.


लेकिन "मनोहर कहानियाँ" ने कभी पाठक से "धर्मयुग" या "माया" होने का नाटक नहीं किया.

पत्रकार साथियों, आप भी मत करिए. मनोहर कहानियाँ बेच रहे हैं, उस पर संभ्रांत, विश्वसनीय पत्रकारिता का चस्पा मत लगाइए.

वरना दर्शक एक दिन "चम्पक" समझेगा.


(चित्र साभार एक घूमती फिरती ईमेल से.)

14 comments:

Udan Tashtari said...

चैन से सोना है तो अब टीवी बंद कर दो- सौ टके की सलाह. आभार.

Anil Pusadkar said...

sahi kaha aapne

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger said...

समाचार चैनलों से जुड़े बड़े नामों में से ज़्यादातर की सर्वप्रिय दलील- 'नैतिकता छाँटने से पहले ताज़ा टीआरपी देख के आइए. दर्शक जो देखना चाहते हैं वो सब क्यों नहीं दिखाएँ!?'

अंगूठा छाप said...

बहुत अच्छे नीलेश भाई!

बड़ी पते की बात की है आपने। लेकिन फिक्र यही है कि आखिर बदलाव कैसे आवेगा?

हम सब किस अवतार की आस में जी रहे हैं आखिर?! क्यांे न हम सब ही कुछ रचनात्मक पहल करें, यदि आस बची हो थोड़ी बहुत तो।

क्या खयाल है?

sanjay vyas said...

चैन से सो्ना है तो टीवी बन्द ही नहीं उसकी पोटली बना कर घर की भखारी (अंडर ग्राउंड)में डाल दो.

Nipunta's Blog said...

Pardon me for wording this harshly but I would label this post as Hypocritical … while I agree with your observations about the falling standards of Indian media but at the end of the day – isn’t this what we all “enjoy” watching? What makes Aaj-tak one of the leading Hindi channels in India right now? Its people like you and I who have helped bring it where it is now:) it didn’t surprise me when India TV walked away with highest TRPs following its broadcast of a video-grab of a talking deity… trust me, I watched it with equal keenness… forget electronic, print media is no less, I was a little taken aback when I read a news piece around a murder mystery that started on such a theatrical note “Don’t kill me, don’t kill me mother! Perhaps these were the last words of blah blah…” I mean is this even required?

I expect you to be a little more judicious here…

Cheers,
Nipa

Anonymous said...

Want to congratulate you on your new series in Hindustan Times... It's mindblowing and the stories are amazing with some really moving pictures.

Really love the way you present things...:D

Pictarter said...

More posts :) I am now subscribing to the feed.

vikas pandey said...

Neelesh,

How have you been? We don't get HT in South India. Can u please give URLs of ur articles here. It would be really great. As we love reading you.

Anonymous said...

Your articles show how angry you are at about issues around you.....though while talking to you one cant just stop laughing....the thought was quite relevant and though I am being harsh but the blame completely goes on the Hindi channels, barring the one you mentioned. You hardly see the frivolous reporting on english channels like you see on the hindi channels.

Anonymous said...

Where r u.... no blogging of late

Santosh Mishra said...

ये सभी सठिया गए हैं। ब्रेकिंग न्यूज के नाम पर कमिश्नर साहब का कुत्ता और बिल्लो रानी दिखाते फिर रहे हैं। यह टीवी चैनलों की चिरकुटई का चरम है। भगवान भला करें।

kahasuna said...

bilkul nek nasihat, aamin.....!

vikas pandey said...

Where are you?

(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)