Sunday, March 18, 2012

नाउम्मीदी से कहा है मैंने ...



नाउम्मीदी से कहा है मैंने
मेरे घर अबके बरस ना आना
सौतेली बहन तेरी है उम्मीद
उसको तू मेरा पता दे जाना
तुझसे भी यारी रही है मेरी
और उसके भी संग बिताये दिन
मगर इस जनवरी है ये सोचा
कि हैं इस बार उसके आये दिन

नाउम्मीदी से कहा है मैंने
कैसे तू ढूँढती है सबका पता?
क्यूँ दरारें हैं दिल की रेतों पे
कैसा भूगोल है ये, मुझको बता?
कैसे तू ढूँढती है दरवाज़े
कैसे गलियों के नाम याद तुझे?
कुछ और सपने पूरे कर दे ज़रा
क्यूँ असर ना करे फ़रियाद तुझे?
नाउम्मीदी से कहा है मैंने
अबके आना तो खाली हाथ आना ...
सपने कुछ ढूँढ़ते हैं मेरा घर
होंगे नुक्कड़ पे, उनके साथ आना

नाउम्मीदी से कहा है मैंने
कि अगले साल तू ज़रूर आना
ऊंचे बदकिस्मती के टीलों से
तू मुझसे मिलने इतनी दूर आना
नज़र लगने का बड़ा खतरा है
कभी उम्मीद ज्यादा अच्छी नहीं
ख्वाब को देखने से टूटने तक
ये कच्ची नींद ज्यादा अच्छी नहीं ...

नाउम्मीदी से कहा है मैंने ...

(चित्र: सम्राट चक्रवर्ती)

Friday, March 9, 2012

आज मैं उसके मोहल्ले में जा के देख आया

आज मैं उसके मोहल्ले में जा के देख आया
वहां वो दिल नशीन जाने कब से रहती नहीं
वो रहा करती थी बेफिक्र सी शेरों में मेरे
पर मेरी शायरी भी उसकी बात कहती नहीं
या वो झूठी थी
या कि लफ्ज़ मेरे झूठे थे
उसके चट्टान से दिल से
हज़ार बार गिरे
मेरे नाज़ुक़ से लफ्ज़
टुकड़ा टुकड़ा टूटे थे
कोई तो होगी बात ऐसे मन धधकता है
वरना लावा की नदी इस तरह तो बहती नहीं

आज मैं उसके मोहल्ले में जा के देख आया
वहां वो दिल नशीन जाने कब से रहती नहीं

Thursday, March 8, 2012

ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?


ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?
मर्दों को मनाही है विमेंस डे की बधाई देने की
जब तक मेरी कुछ शर्तें न पूरी हो जाएँ
जब तक माँ भी पूरे परिवार के साथ खाना न खाए
जब तक हिंदुस्तान के सारे पापा और भाई
खाने के बाद अपने बर्तन खुद चौके में रखना न सीख जाएँ
गुस्सा निकलने का तरीका माँ-बहन की गालियाँ न हों
बस में कुहनियाँ उस कॉलेज की लड़की को छूने को बेताब न हों
जब शौहर बीवियों से बात करने की तमीज सीख जाएँ
जब गाने मशहूर करने के लिए
औरतों को पानी के नीचे नाचना न पड़े
तब कर लेना विमेंस डे
ये क्या हैप्पी विमेंस डे-फे लगा रखा है?
(All photos by the author, except when credit mentioned otherwise)